Bawari

AKHIL CHAUDHARY, AMIT SAWANT

कितना सतावे तू मुझे
भटक भटक के
मन को मारे कभी
चैन ना आवे दूर तू है
तेरा सपना सतावे
चाहे के तू मुझसे बावरी
बावरी बावरी

खली एक नागरी है
है खली आसमा
अपने हाथों से
दे उसको घर बना
बैटी है सामने और तुजखो मैं ढूंढ़ता
तेरी मेरी कहानी
की सुबहा मैं ढूंढ़ता
कैसे रोकू तेरे
सपनो को जीने से
बीच गये नैना मारे
तेरे ही खदमों पे हो
आ भी जा धेख अभ ना सता तू
चाहे के तू मुझसे बावरी
बावरी बावरी

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