Chidiya
कैसी वो मुराद थी जो आज जल गयी
परियों के जेहेन में जो आग बन गयी
देखि ना थी सपनों ख़यालो में कभी
ऐसी ज़िंदगी से मुलाक़ात बन गयी
तेरी आँखों की लेहेक को ना जाने
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
आँखें झुकती चुभन में
अशकों में मगन ये
कैसी तेरी साँसें चढ़ गयी
हो सखियाँ देखे अंजुमन में
सोचे सब मन में
कैसी कैसी बाते बन गयी
हो तेरी बातों की चेहेक को ना जाने
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओह री चिड़िया ना तुझे री
क्यों येह दुनिया भाए रे
ओह रे पंछी क्यों हमेशा
बैठी मुंह लटकाए रे
तेरी आँख ये जो नम है
इनमें जो ग़म है
छोड़ के सुबह पे कर यकीन
हो ये जो झूमता सावन है
मीठी जो पवन है
तेरी ही मुस्कान से है बनी
हो तेरी बातों की चेहेक को न जाने
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
ना जाने कैसी रात मिल गयी
सोची थी जो रात वो आज मिल गयी
धुएँ के बरस में बरसात मिल गयी
देखी थी जो सपनों ख़यालो में कहीं
खुशियों की किरण वो आज मिल गई
ये ज़माना बेशरम है
ना इसका धरम है
क्यूँ ढूँढे है तू इसमें बंदगी
ओह तेरे साथ तेरा मन है
दिल की धड़कन है
आगे बढ़ के जी ले ज़िंदगी.